पहली बार एक साथ इतने मुस्लिम धर्मगुरुओं ने किया साइन
नई
दिल्ली - पूरी
दुनिया में मुस्लिम राज का
सपना देखने वाले खूंखार आतंकी
संगठन आईएसआईएस के खिलाफ पहली
बार दुनिया का सबसे बड़ा फतवा
जारी किया गया है। दावा किया
जा रहा है कि इस फतवे पर देशभर
के 1050 इमामों
और मुफ्तियों ने हस्ताक्षर
किए हैं और आईएसआईएस द्वारा
जेहाद की आड़ में बेगुनाह
लोगों की हत्या का विरोध किया
है। इन्होंने वीभत्स तरीके
से की जा रही हत्या के विडियो
और तस्वीरें पोस्ट करने को
भी गैर-इस्लामिक
और शरीयत के खिलाफ बताया है।
एनबीटी
की रिपोर्ट के अनुसार यह फतवा
अमेरिका, ब्रिटेन,
चीन,
फ्रांस और
यूएई जैसे दुनिया के 47
देशों के
राष्ट्राध्यक्षों के साथ
साझा किया गया है । इसमें यह
भी कहा गया है कि आईएस का यह
दावा पूरी तरह गलत है कि उसका
कथित जेहाद इस्लामिक है और
शरीयत के मुताबिक ही वे हिंसा
को अंजाम दे रहे हैं।
इन्होंने किए हस्ताक्षर
रिपोर्ट
के अनुसार इस फतवे पर साइन
करने वालों में दिल्ली की जामा
मस्जिद के शाही इमाम,
दारुल उलूम
मोहम्मदिया, उलमा
काउंसिल ऑफ इंडिया, अजमेर
दरगाह, जमीयत
अहले हदीस मुंबई, रजा
अकैडमी, ऑल
इंडिया तंजीम अम्मे-ए-मस्जिद,
आमिल साहब
दाऊदी बोहरा, निजामुद्दीन
औलिया दरगाह, जमीयतुल
उलमा महाराष्ट्र, सैयद
जहीर अब्बास रिजवी जैनाब्य
और मोइन अशरफ साहब कचोचा दरगाह
शामिल हैं। 15 अगस्त
को यह फतवा संयुक्त राष्ट्र
महासचिव बान की मून को भी दिया
गया।
इन्होंने की पहल
एनबीटी
के अनुसार इस्लामिक डिफेंस
साइबर सेल के अध्यक्ष और दारुल
उलूम अली हसन अहले सुन्नत के
मुख्य सलाहकार डॉ. अब्दुल
रहीन अंजारिया ने इसकी पहल
की । उन्होंने इस्लामिक लीडर्स
के सामने आईएस के कृत्य की
पिटिशन रखी और एक हजार से भी
ज्यादा धर्मगुरुओं ने आईएस
के काम को गैर-इस्लामिक
और अमानवीय बताया। यह दुनिया
के दूसरे मुल्कों के लिए भी
सबक है कि वे आगे आएं और आईएस
जैसे आतंकी संगठनों की निंदा
करें। यह वैश्विक शांति,
सौहार्द
और अगली पीढ़ियों के लिए जरूरी
है।'
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