यहां अपनी शाखा खोलने के लिए तरसते हैं बड़े-बड़े बैंक
अहमदाबाद-
इन गांवों
में धन की बरसात होती है...बेशुमार
दौलत की। आप पढ़ेंगे तो आपके
मन में भी एक बार तो ये ख्याल
अवश्य आएगा कि काश! मैं
भी उसी गांव में रह पाता। आपका
मन ना भी करे तो कोई बात नहीं,
लेकिन
बड़े-बड़े
नेशनल-इंटरनेशनल
बैंक यहां अपनी शाखाएं खोलने
के लिए तरसते हैं। आइए आपको
भी रूबरू करवाते हैं जन्नत
जैसे इन गांवों से....
गुजरात के हैं ये खरबपति गांव
गुजरात
के सुदूर जिले भुज में तीन
गाँव हैं- बालदिया,
माधापर और
केरा। आप जानकर हैरान होगे
कि ये तीनों गांव खरबपति हैं।
भले भुज रेगिस्तान जैसा और
जहां तहां समुद्री पानी केे
कारण खराब जमीन वाला जिला है,
लेकिन फिर
भी यह कई शहरों से अमीर है। इन
गांवों में कितना धन है,
आइए जानते
हैं...
दो हजार करोड़ कैश है बालदिया गांव में
गुजरात
के भुज में बसा है बालदिया
गाँव। इस जिले में करीब 1,300
परिवार रहते
हैं। अनुमान है कि इस गाँव के
बैंकों में जमा राशि दो हजार
करोड़ रूपये से अधिक है। यह
तो सिर्फ कैश है, गांव
में सोना-चांदी
और अन्य हीरे जवाहरात अलग हैं।
बालदिया में आठ बैंकों की
शाखाएं हैं, जिनमें
सभी बड़े बैंक हैं।
गांव माधापर के बैंकों में जमा हैं पांच हजार करोड़
बालदिया
जैसा ही लेकिन उससे छोटा गांव
है माधापार। भुज से नारायण
सरोवर के रास्ते पर पड़ने वाले
इस गांव की आबादी अधिक नहीं
है, लेकिन
यहां बैंकों की शाखाओं में
करीब पाँच हजार करोड़ की जमा
राशि है। यह राशि भी सिर्फ
चौदह बैंकों में जमा है,
अन्य सोना-चांदी
जैसी कीमती धातुओं को मिला
लें तो आंकड़ा बहुत बड़ा हाे
जाएगा।
केरा छोटा है, लेकिन पैसा बहुत है
इसी
जिले का एक और गांव है केरा।
इस गाँव में खुली बैंकों की
शाखायें भी जमा राशि के मामले
में दूसरे गाँवों को मुँह
चिढ़ाती नजर आती है। इस गाँव
के बैंकों की नौ शाखाओं में
जमा राशि दो हजार करोड़ रूपये
के आसपास बतायी जाती है।
कैसे
बरसता है धन आइए जानते हैं...
सिर्फ
तीन गांवों की जमा पूंजी करीब
9 हजार
करोड़ रूपए। इन गाँवों में
विभिन्न बैंकों की 30
शाखायें
और 24 एटीएम
हैं। यहां पैसा विदेशों से
बरसता है। दरअसल इन गाँवों
के अधिकाँश कामगार विदेशों
में जाकर पैसा कमा रहे हैं।
चूंकि उनमें से अधिकतर का
परिवार यहीं होता है,
इसलिए वे
पूरी बचत यहीं भेजते हैं।
अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया,
सऊदी अरब
जैसे खाड़ी देशों में जाकर
नौकरी या व्यवसाय करने वाले
ये लोग अपने गाँवों में नियमित
तौर पर आते-जाते
हैं।
हर
बैंक खोलना चाहता है शाखा
इतनी
जमापूंजी वाले गांवों में
भला कौन बैंक अपनी शाखा नहीं
खोलना चाहेगा? प्रवासी
निवासियों की ओर से भेजी जा
रही मोटी रकम को अपनी ओर खींचने
के लिए बैंकों में प्रतिस्पर्धा
है। इसलिये अधिकांश बैंक इन
गाँवों में अपनी शाखा खोलने
को लालायित रहते हैं। लेकिन
परेशानी यह है कि पहले से
स्थापित बैंकों पर प्रवासियों
का भरोसा अधिक है।
शहरों
को भी करते हैं फेल
इन
अमीर गांवों में इतनी आधुनिक
सुविधाएं हैं कि ये शहरों को
भी फेल कर देते हैं। भारी संख्या
में प्रवासी पैसों के कारण
और बैंकों में लगी होड़ के
कारण इन गाँवों में निर्मित
घर, स्कूल
और अस्पताल आधुनिक सुविधाओं
से सम्पन्न हैं।